शेर और बंदर की कहानी | Sher Aur Bandar Ki Kahani

Lion and Monkey Story in Hindi दोस्तों बचपन में हम सब ने दादी, नानी से अनेको कहानियां सुनी है। जिसमें से शेर और बंदर की कहानी (Sher Aur Bandar Ki Kahani) एक ऐसी कहानी थी जो लगभग सभी को पसंद आती थी। तो यहां हम आपको वहीं शेर और बंदर की कहानी बताने वाले है। तो इस lion and monkey story या bandar aur sher ki kahani को अंत तक जरूर पढ़ें।

शेर और बंदर की कहानी – Sher Aur Bandar Ki Kahani

एक बहुत ही विशाल एवं घना जंगल था जिसमें एक शेर रहता था। उसी वन में एक लोमड़ी भी रहती थी, जो शेर की असिस्टेंट थी। लोमड़ी दिनभर पूरे जंगल में घूमती रहती एवं जानवरों का पता लगाती, उसे कही भी कोई जानवर दिखता तो तुरंत आकर उसकी सूचना शेर को दे देती थी।

शेर बड़ा ही खूंखार (भयानक) और क्रूर था। वह हमेशा आवश्यकता से अधिक जानवरों का शिकार करता था। शेर शिकार किये गए जानवरों को खा लेता था और जब उसकी पेट भर जाती तो वह शिकार किए जानवरों को वैसे ही छोड़ देता था। इस प्रकार शेर द्वारा लगातार आवश्यकता से अधिक जानवरों का शिकार होने से जंगल के सारे जानवर समाप्त हो गए। धीरे धीरे एक ऐसा वक्त आया जब उस शेर और लोमड़ी के भूखे मरने की नौबत आ गई।

शेर ने अपने असिस्टेंट (लोमड़ी) से कहा कि वह आसपास के अन्य जंगलों में जाकर दूसरे जानवरों का पता लगाएं जिससे शेर का और लोमड़ी का दोनों का पेट भर सके। 

उसी विशाल जंगल में एक बहुत बड़ी नदी बहती थी। उस नदी के बीच में एक टापू था, उस टापू पर सारे शाकाहारी जानवर जैसे हिरण, खरगोश, बंदर, बकरी, भेड़ जैसे जानवर वर्षों से वहीं रहते थे। चारो तरह से नदी से घिरा होने के कारण टापू पर कोई दूसरा बाहरी जानवर नहीं आ पाता था।

लोमड़ी उस क्रूर शेर की आदेश मानकर जानवरों का पता लगाने जंगल में निकल पड़ी। लोमड़ी ने जानवरों को बहुत खोजा पर उसे अपने जंगल में कोई भी जानवर नहीं मिला। लोमड़ी पूरी जंगल जानवरों को खोज खोज कर थक गई थी। अब वह हार कर नदी किनारे बैठ गई। तभी अचानक उसकी नजर दूर बने टापू पर पड़ी। लोमड़ी ने सोचा जरूर ही इस टापू पर कोई न कोई जानवर तो रहते ही होंगे। ऐसा सोचकर जब लोमड़ी नदी में तैरकर जब टापू पर जाकर देखती है तो वहां बहुत सारे शाकाहारी जानवर थे, किंतु कोई भी शेर को चुनौती देनेवाला जानवर या बहुत विशाल नहीं था।

यह सब देखकर लोमड़ी बहुत खुश हुई और जंगल वापस लौटकर उसने उस शेर को पूरी बात बताई। लोमड़ी की यह बात सुनकर शेर बहुत प्रसन्न हुआ और उसने लोमड़ी को यह बताने के लिए शाबाशी दी। अगले ही दिन शेर अपनी असिस्टेंट लोमड़ी के साथ उस नदी मे मौजूद टापू पर जानवरों का शिकार करने के लिए पहुंच गया। 

टापू पर पहुंचते ही जैसे ही शेर ने बहुत सारी जानवरों को देखकर उसके मुंह से लार टपकने लगी। शेर ने एक ही दिन में बहुत सारे जानवरों को मार डाला और कुछ जानवरों को खाकर बाकी जानवरों को ऐसे ही छोड़ दिया। शेर लगातार दो-तीन दिनों तक इसी तरह अंधाधुन शिकार करता रहा। टापू पर मौजूद सारे जानवर शेर से बुरी तरह डर गए और सभी ने एक सभा बुलाई। उस सभा में क्रूर शेर से बचने के उपाय पर चर्चा हो रही थी, सभी ने अपने अपने सुझाव दिए।

उसी सभा में एक बूढ़ा बंदर भी था, जो अपनी बुद्धिमानी के लिए पूरे टापू पर जाना जाता था। टापू के सारे जानवरों ने उस बूढ़े बंदर से सुझाव मांगा। बूढ़े बंदर ने कहा – ” इस प्रकार अगर हम डर-डरकर सभी से भागते रहे, तो हम में से कोई भी जीवित नहीं बचेगा हमें बड़ी सूझ-बूझ के साथ उस क्रूर शेर का मुकाबला करना पड़ेगा।” 

जंगल के अन्य सभी जानवरों ने उस बूढ़े बंदर से पूछा कि उनके पास ना तो शेर के समान दांत हैं, ना ही उसके जितना ताकत है और ना ही तेज नाखून हम उस खूंखार शेर का सामना कैसे कर पाएंगे। बूढ़े बंदर ने अन्य जानवरो से कहा – ” हमें आमने-सामने की लड़ाई नहीं लड़ना है बल्कि युक्ति पूर्ण तरीके से शेर का सामना करके उसे खत्म करना होगा।”

सभी जानवर बंदर के इस बात से सहमत हुए और उन्होंने बंदर से ही आगे की योजना बनाने के लिए कहा। सभी जानवर के अनुरोध करने पर बंदर ने योजना बनाने को तैयार हो गया और उसने एक बेेेहतरीन योजना बनाई, जिससे बड़ी आसानी से उस क्रूर शेर को मारा जा सकता था।

जंगल के सभी जानवरों ने मिलकर एक बहुत बड़ा एवं गहरा गड्ढा खोदा और उस गड्ढे के उपर घास फूस और पत्तियों से ढक दिया। जो देखने में बिलकुल जंगल की अन्य समतल जमीन की तरह दिखाई दे रहा था। जैसे ही शेर के आते हुए देखते ही सारे जानवर गड्डे के दूसरी तरफ चले गए, जिससे शेर गड्ढे में गिर जाए। 

शेर ने जैसे ही एक साथ बहुत सारे जानवरों को देखा, वैसे ही उसकी भूख जाग गई और वह उनका शिकार करने के लिए जानवरों की तरफ भागा जैसे ही शेर गड्ढे के ऊपर से निकला घास फूस और पत्तियों के दब गई और शेर गहरे गड्ढे में गिर गया। शेर ने और गड्ढे से बाहर निकलने का बहुत प्रयत्न किया पर गड्ढा इतना अधिक गहरा था कि अनेक कोशिश करने के बाद भी वह गड्ढे से नहीं निकल सका। 

शेर के साथ-साथ उसके पीछे भागते हुए लोमड़ी भी उस गड्ढे में गिर गई। दोनों ने गड्ढे से निकलने की बहुत प्रयत्न की पर वे दोनों सफल रहे। भूख और प्यास के कारण शेर और लोमड़ी दोनों की उसी गड्ढे में ही मौत हो गई। इस प्रकार बूूढ़े बंदर और जानवरों की सूझ-बूझ एवं चालाकी से उन्हें खूंखार शेर से मुक्ति मिल गई और सभी जानवर पहले की तरह हंसी खुशी एवं आजादी से उसी जंगल में रहने लगे।

शिक्षा (Moral of Story)

शेर और बन्दर की कहानी से हमें यहीं शिक्षा मिलती है कि बुद्धिमानी एवं सूझ-बूझ से बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना बहुत आसानी से किया जा सकता है। इसलिए हमें अपने आत्मविश्वास में विश्वास करना चाहिए और किसी भी मुसीबत का सामना अपनी पूरी साहस से करना चाहिए।

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